Wednesday, August 29, 2007

ज़हन-ए-ज़ोर

खूब कही आपने मिर्ज़ा आपका है वाकई "अंदाज़े-बयाँ-और"
अब समझने में लगेंगे हमें उम्र बारह, उस पर ज़हन-ए-ज़ोर

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